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Vaishakh Amavasya 2025: वैशाख अमावस्या पर पितरों के लिए कैसे जलाएं दीपक? जानें होने वाले फायदे

वैशाख मास की अमावस्या हर साल भाव के साथ मनाई जाती है। इस साल यह 29 अप्रैल, 2025 को पड़ रही है। यह दिन पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन (Vaishakh Amavasya 2025) किए गए श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान-पुण्य का विशेष महत्व रखते हैं। वहीं, इस मौके पर पितरों के निमित्त दीपक जलाना भी बहुत फलदायी माना जाता है। हालांकि इसके लिए सही नियम और स्थान की जानकारी होनी चाहिए, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

दीपक जलाने का नियम
वैशाख अमावस्या को शाम के समय पितरों के लिए दीपक जलाना उत्तम माना जाता है। दीपक जलाने के लिए मिट्टी का दीया सबसे शुभ होता है। अगर मिट्टी का दीपक उपलब्ध न हो तो आप किसी अन्य धातु के दीपक का भी प्रयोग कर सकते हैं। दीपक में सरसों का तेल या तिल का तेल प्रयोग करना चाहिए।
सबसे पहले रुई की बत्ती बनाकर उसे तेल में डुबोएं और फिर दीपक को प्रज्वलित करें। दीपक जलाते समय अपने पितरों का ध्यान करें और उनकी शांति एवं मोक्ष की कामना करें।

दीपक जलाने का स्थान
घर की दक्षिण दिशा – दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है। इसलिए वैशाख अमावस्या की शाम को घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना बहुत लाभकारी माना जाता है। आप इसे घर के आंगन में छत पर या दक्षिण दिशा की दीवार के पास रख सकते हैं।

तुलसी के पौधे के पास – हिंदू धर्म में तुलसी के पौधा को बहुत पूजनीय माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से पितरों को शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पीपल के वृक्ष के नीचे – ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। ऐसे में आपके आसपास पीपल का वृक्ष हो तो वैशाख अमावस्या की शाम उसके नीचे दीपक जरूर जलाएं। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

खाली जगह – घर के किसी ऐसे स्थान पर जहां कोई आवाजाही न हो, वहां भी पितरों के लिए दीपक जलाया जा सकता है। यह शांत स्थान पितरों की आत्मा को शांति देता है।

दीपक जलाने का धार्मिक महत्व
ऐसा माना जाता है कि दीपक की रोशनी पितरों को अपने लोक की ओर जाने में मदद करती है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे खुश होते हैं। इसके साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से पितरों के लिए दीपक जलाने से कुंडली में मौजूद पितृदोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। यही नहीं परिवार में उन्नति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

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