Deoghar : बैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा को कोर्ट से मिले अधिकार दिलाने के लिए महासभा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

देवघर : बैद्यनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी सह सरदार पंडा (महंथ) गुलाबनंद ओझा को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए अभियान तेज हो गया है। इस संबंध में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण तिवारी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उल्लेख किया है कि देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक है तथा झारखंड हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रावधान के अनुसार उक्त मंदिर की पूर्ण जिम्मेदारी मुख्य पुजारी के रूप में सरदार पंडा करते आ रहे हैं।
बड़े पुत्र को सौंपा जाने लगा जिम्मेदारी
इस तथ्य को सर्वोच्च न्यायालय में अपील नं0 236/1957 भवप्रीतानंद ओझा बनाम बिहार सरकार AIR 1959 पेज नं0 में भी निर्णित है। ब्रिटिश सरकार के द्वारा दिनांक 15/07/1791 के कबुलियत (एकरारनाम) के तहत मंदिर का प्रबंधन, रख-रखाव एवं सभी धार्मिक कार्य एवं यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरदार पंडा को सौंप गई। यह एकरारनामा तत्कालीन सरदार पंडा रामदत्त ओझा और ब्रिटिश पदाधिकारी कलेक्टर मि० किटिंग के बीच हुई थी। सरदार पंडा का कार्य एवं दायित्व आनुवांशिकता के आधार पर परिवार के बड़े पुत्र को सौंपा जाने लगा और यह सिलसिला जारी है।
झारखंड सरकार को निर्देशित किया जाए
झारखंड सरकार के द्वारा दिनांक 03/09/2015 को बाबा बैद्यनाथधाम एवं बासुकीनाथधाम श्राइन बोर्ड का निर्माण कर पूरे मंदिर की वित्त एवं प्रशासनिक व्यवस्था अपने हाथ में ले लिया। दिनांक 07/12/2016 में लंबे समय अवधि उपरांत टाइटल अपील संख्या 27 / 2013 में जिला न्यायाधीश देवघर द्वारा अजीतानंद ओझा, प्रधान पुजारी (सरदार पंडा) नियुक्त किया गया तथा उनकी मृत्यु उपरांत परंपरानुसार इनके बड़े पुत्र गुलाबनंद ओझा, सरदार पंडा के पद पर आसीन हुए | दिनांक 09/07/2019 को बाबा बैद्यनाथ श्राइन बोर्ड की वार्षिक बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि मंदिर संचालन से संबंधित सभी कार्य सरदार पंडा (मुख्य पुजारी) करेंगे, परंतु अभी तक उपरोक्त निर्णय का अनुपालन नहीं किया गया है। इसलिए प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि उच्च न्यायालय कलकत्ता एवं उच्चतम न्यायालय भारत सरकार के द्वारा बैद्यनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी (सरदार पंडा) के निर्धारित कर्तव्य तथा अधिकार को लागू करने के लिए झारखंड सरकार को निर्देशित किया जाए।