मध्य प्रदेशराजनीति

Madhya Pradesh Chief Minister : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ताकत क्या है? इस सवाल का जवाब जानें इस लेख में

 डॉ.संतोष मानव 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की ताकत क्या है? इस सवाल का जवाब अगर एक लाइन में देना हो, तो संभवतः सौ में निन्यानबे का एक ही जवाब होगा-संगठन और नेता का सम्मान। ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं है, डॉ मोहन यादव के सवा साल के मुख्यमंत्री के सफर पर गौर कीजिए – सटीक जवाब मिल जाएगा। डॉ. मोहन यादव अपनी पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को ओढ़ते – बिछाते हैं। मोदीजी ने कहा कि देश में चार ही जातियां हैं – गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी शक्ति। संक्षेप में कहते हैं ज्ञान (GYAN). अपने नेता के प्रति समर्पण का नतीजा ही है कि राज्य की हर नीति में ज्ञान पर ध्यान है।

चालीस लाख से ज्यादा नौकरियों के भी प्रबंध किए


सवा साल में तीस से ज्यादा ऐसी नीति/निर्णय, जिसके फोकस में वंचित/गरीब हैं। चाहे गरीब कल्याण मिशन हो, संबल योजना के तहत अनुग्रह राशि का वितरण हो, हुकुमचंद मिल के पौने पांच हजार मजदूरों के बकाए का भुगतान हो या हो लोक परिवहन पुनः प्रारंभ करने का फैसला। और युवा ? युवा में तो मुख्यमंत्री के प्राण बसते हैं। भले वे जिगर के टुकड़ों जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं पर प्रदेश की युवा शक्ति मुख्यमंत्री के जिगर के टुकड़े ही हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो वे युवाओं के रोजगार के लिए भला इतने फ्रिकमंद क्यों रहते? अभी-अभी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए उन्होंने 30.77 लाख करोड़ के न सिर्फ निवेश प्रस्ताव जुटाए हैं बल्कि चालीस लाख से ज्यादा नौकरियों के भी प्रबंध किए हैं। शर्त एक ही है कि निवेश प्रस्ताव मूर्त रूप ले।

डॉ मोहन यादव के जिगर के टुकड़े

इसके लिए वे खुद भागीरथी प्रयास कर रहे हैं, साप्ताहिक और मासिक समीक्षा के रूप में। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ही क्यों सवा साल में दो दर्जन से ज्यादा नीति/निर्णय ऐसे हैं, जिनके केंद्र में हैं युवा यानी डॉ मोहन यादव के जिगर के टुकड़े। अगर नीति/निर्णय गिनाना हो तो गिन लीजिए – स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन, भारतीय सेना, पैरा मिलिट्री और पुलिस में भर्ती के लिए पार्थ योजना, पांच साल में पांच लाख सरकारी नौकरी के लिए रास्ता खोलना हो या सात लाख युवाओं को पांच हजार करोड़ का स्व. रोजगार ऋण वितरण। सब युवा शक्ति के लिए ही तो हैं।

शब्द की गरिमा का ध्यान रखने वाले मुख्यमंत्री

सवा साल में महिलाओं के लिए भी देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन, दमोह में रानी दमयंती संग्रहालय, सरकारी सेवा में महिला आरक्षण में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी, जेंडर बजट में वृद्धि जैसे दो दर्जन से ज्यादा नीति और निर्णय। अन्नदाताओं के लिए तो डॉ मोहन यादव ने सरकारी खजाना ही खोल दिया है। तरह-तरह की नीतियां और निर्णय। पांच रूपए में बिजली का स्थायी कनेक्शन, गेहूं उपार्जन पर 175 रूपए प्रति क्विंटल बोनस, तीस लाख सोलर पंप देने का निर्णय, रानी दुर्गावती श्रीअन्न योजना में एक हजार प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त सहायता जैसे दो दर्जन से ज्यादा नीति और निर्णय। यानी नेता के एक-एक शब्द की गरिमा का ध्यान रखने वाले मुख्यमंत्री के रूप में सामने आए हैं डॉ मोहन यादव।

शोक में ढाढस और उत्सव में उल्लास वाला व्यक्तित्व

पर नेता ही नहीं, संगठन का भी उतना ही ध्यान। संगठन के साथ बेहतर तालमेल रखने वाले नेता हैं डॉ मोहन यादव। वरिष्ठ नेताओं को पूरा सम्मान और कनिष्ठ को उतना ही स्नेह मुख्यमंत्री की विशेषता है। अगर वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री के भाई साहब हैं तो कनिष्ठ नेताओं के लिए डॉ. मोहन यादव, मोहन भैया बन गए हैं। कहने को भी यह भी कह सकते हैं कि राजनीतिक पार्टी में भी परिवार देखने वाले नेता हैं डॉ मोहन यादव। पार्टीजनों के सुख-दुख में अधिकतम सहभागिता की कोशिश दिखती है। शोक में ढाढस और उत्सव में उल्लास की सीख देने वाला व्यक्तित्व।

सादगी, मितव्यय, मधुर वाणी

डॉ मोहन यादव जिस संगठन में पले-बढ़े हैं यानी पैतृक संगठन, उस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहिए या अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्कार को भी वे भूले नहीं हैं। वाणी से आचरण तक। सादगी, मितव्यय, मधुर वाणी। पैतृक संगठन के आदर्शों की झलक देखनी हो, तो राम वनगमन पथ, कृष्ण पाथेय न्यास, गीता महोत्सव, गोवर्धन पूजा, गुरु पूर्णिमा पर्व के आयोजन, रामायण और गीता को वैकल्पिक विषय बनाने, गौ- संरक्षण, भव्य सिंहस्थ की तैयारी जैसे निर्णयों में देखा जा सकता है।
यानी डॉ मोहन यादव अपने नेता और संगठन में अखंड विश्वास रखने वाले संस्कारित नेता हैं और यही उनकी शक्ति का स्रोत भी है। क्या नहीं? (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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