Jayban Cannon: मुगल या अंग्रेज नहीं…इस भारतीय राजा के पास थी दुनिया की सबसे बड़ी तोप
भारत में तोप लाने वाला पहला शख्स मुगल बादशाह बाबर था.

जंग के मैदान में जब से तोपों का इस्तेमाल
जब से जंग के मैदान में जब से तोपों का इस्तेमाल होने लगा तब से लड़ाई का तरीका ही बदल गया. तोपों के इस्तेमाल से सैनिकों की कम संख्या वाली फौजें भी अपने से कई गुना बड़ी सेनाओं को हराने लगीं. तोपों के जंग के मैदान में आने के बाद कोई भी किला सुरक्षित नहीं रह गया.
भारत में तोप लाने वाला पहला शख्स
भारत में तोप लाने वाला पहला शख्स मुगल बादशाह बाबर था. बाबर ने खानवा के युद्ध में राणा सांगा के खिलाफ तोप का इस्तेमाल कर के ही जंग जीती थी. तोपों का प्रयोग अंग्रेजों ने भी किया और बाद में भारत के कई राजा भी तोपों के दम पर जंग जीतने लगे.
दुनिया की सबसे बड़ी और भारी तोप
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे बड़ी और भारी तोप किसी मुगल राजा या अंग्रेजों के पास नहीं बल्कि भारत के एक राजपूत राजा के पास थी. इस तोप को 720 में सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था.
तोप का नाम भी रखा गया
सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनावाई गई दुनिया की सबसे बड़ी तोप का नाम भी रखा गया. इसे जयबाण तोप कहा जाता है. इस तोप का वजन 50 टन था. इस तोप का बैरल 6.15 मीटर (20.2 फुट) लंबा है.
जयगढ़ किले में रखी हुई है
जयबाण तोप आज भी राजस्थान राज्य में जयगढ़ किले में रखी हुई है. दुनिया भर के पर्यटक इसे देखने जाते हैं. बताया जाता है कि ये तोप इतनी भारी थी कि इसे खींचना इंसानों के बस की बात नहीं थी. इसे हाथी खींचकर बाहर ले आते थे.
केवल एक बार ही गोला दाग गया
जयबाण तोप का निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपनी रियासत की सुरक्षा के लिए करवाया था. इससे केवल एक बार ही गोला दाग गया. जब इसका परीक्षण किया गया तब इसका गोला 35 किलोमीटर दूर चाकसू गांव में गिरा था. जहां गोला गिरा वहां तालाब जैसा गड्डा हो गया.
100 किलो बारूद की आवश्यकता
जयबाण तोप अब जयगढ़ किले के डूंगर गेट पर रखी हुई है. लोग इसे देखने आते हैं. कहा जाता है कि जयबाण तोप को चलाने के लिए 100 किलो बारूद की आवश्यकता होती थी. विजयदशमी के दिन इस तोप की पूजा भी की जाती है.