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Health and Wealth: हम जो बचाते हैं, वही कमाते हैं






डॉ. वंदना अग्रवाल

किफ़ायतशारी यानी मितव्ययिता या फ़्रूगैलिटी एक ऐसी लाइफ़स्टाइल, व्यवहार या क्वालिटी है, जिसमें इंसान बहुत सावधानी या सोच-समझ कर किफ़ायती तरीक़े से अपने संसाधनों जैसे भोजन, समय या धन की खपत करता है। आप सोच रहे होंगे की कंजूसी भरी ज़िन्दगी का क्या फ़ायदा? ऐसी जिंदगी का क्या मतलब, जहाँ आप खुल कर खर्च भी न कर सकें? आजकल के पैरेंट्स सोचते हैं कि हमने अपनी ज़िंदगी जी ली है, कम से कम हमारे बच्चे खुल कर जिएं। लेकिन, आप यह नहीं सोचते कि आपकी इस क्वालिटी की वजह से आपने अपनी वेल्थ और हेल्थ अच्छी रखी। पर क्या आज की जनरेशन या आने वाली जनरेशन ऐसा कर पायेगी?

बच्चे फास्ट फूड से कर रहे सेहत खराब
आज सोशल मीडिया से इन्फ़्लुएंस होकर बच्चे फास्ट फैशन और फास्ट फूड मैं पैसे और अपनी सेहत बर्बाद करते हैं। ये मितव्ययिता नहीं जानते। मितव्ययिता उन लोगों के लिए है, बचपन में अपने आस-पास ग़रीबी देखी या जो अपने समय, स्वास्थ्य और पैसे का महत्व समझते हैं। ऐसे लोग क्वालिटी देख कर खर्च करते हैं। ऐसे में उनका समय भी बचता है। वे फैशन नहीं देखते। एक अच्छी क्वालिटी और सही पैसे दे कर सामान ख़रीदते हैं, ताकि ज़्यादा समय तक उसका इस्तेमाल कर सकें। आज की जनरेशन यह नहीं समझती। मितव्ययी लोग पैसे ऐसी चीज़ों में खर्च करते हैं, जिनसे उनके स्वास्थ्य में भी फ़ायदा हो फिर चाहे वो मेंटल या फिजिकल हेल्थ हो ।

पहले के लोग ज्यादा बचत कर लेते थे

फ़्रूगैलिटी एक ऐसा माइंडसेट है, जो आपको फाइनेंशियल फ़्रीडम देता है। आप फ़िज़ूल ख़र्च न करके उन चीज़ों को इंजॉय करते हैं, जो आपके पास पहले से है । ऐसे में आपके पैसे की बचत होती है और आप भविष्य में और बेहतर चीज़ों पे खर्च कर सकते हैं, जो आपको लाँग टर्म बेनेफ़िट दे। पहले के ज़माने में बैंक या शेयर मार्केट नहीं था फिर भी लोग बचत कर लेते थे ।

कम और जरूरी ख़र्च करना ही समझदारी

पैसे खर्च करने में कुछ मिनट ही लगते हैं पर कमाने में सालो की मेहनत, धैर्य और समय लगता है। कई लोग तो पैसा कमाते – कमाते अपने हेल्थ पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं।ऐसे में खर्च करने से पहले इसकी अहमियत समझना चाहिए। लेकिन, आज की जनरेशन यह नहीं समझती। पैसे कम खर्च करने से कोई कंजूस या अनफ़ैशनेबल नहीं होता बल्कि समझदार होता है, जो चीज़ों की वैल्यू समझता है और किफ़ायती तरीक़े से अच्छी ज़िंदगी जीता है। तो याद रखिए कि कम और जरूरी ख़र्च करना ही समझदारी है। हम वह नहीं कमाते जो सैलरी मिलती है या लाभ होता है। दरअसल, हम वह कमाते हैं, जो हम बचा लेते हैं। ( लेखिका रांची बेस्ड डेंटिस्ट हैं, इनसे drvandnaagarwal29@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

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