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गुजरात में ‘दादा का बुलडोजर’ अभियान जारी, कौन है ये, आईए जानें इस खबर में

दरअसल यूपी की तरह गुजरात में भी अपराधियों की अवैध संपत्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है. राज्य में 2022 से ही ‘दादा का बुलडोजर’ चलना शुरू हुआ था, जिससे शराब तस्करों, दंगाइयों, जुआरी, अवैध खनन में शामिल लोगों सहित तमाम अपराधियों में डर का माहौल है. गुजरात में यह ध्वस्तीकरण अभियान 2022 में शुरू हुआ था, जब स्थानीय अधिकारियों ने तटीय जिलों में अवैध संपत्तियों को ‘सुरक्षा कारणों से’ ध्वस्त करना शुरू किया था. उस समय, सरकार को ‘एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने’ के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. लेकिन अब यह ध्वस्तीकरण अभियान राज्य के बाकी हिस्सों में भी फैल गया है, जहां सरकार शराब तस्करों और अन्य ‘असामाजिक तत्वों’ के पीछे लगी हुई है, जो दंगा, संपत्ति अपराध, जुआ, शारीरिक अपराध और खनन जैसे अपराधों में शामिल पाए जाते हैं.

6 आरोपियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में 13 मार्च को होलीका दहन के दौरान हुए दंगे के बाद पुलिस ने नगर निगम की मदद से 14 आरोपियों में से 6 की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया. वहीं गुजरात पुलिस प्रमुख विकास सहाय ने इस साल 15 मार्च को इस अभियान की शुरुआत की, जिसमें 8,374 अपराधियों की सूची तैयार की गई, जिनमें से 3,240 बूटलेगर्स थे. यह सूची 100 घंटे के भीतर 750 पुलिस थानों से तैयार की गई.

77 स्थानों पर बुलडोजर कार्रवाई

अब तक 77 स्थानों पर बुलडोजर कार्रवाई पूरी हो चुकी है और 200 जगहों की बिजली आपूर्ति भी काट दी गई है. पुलिस महानिदेशक विकास सहाय ने कहा कि यह पूरी तरह ‘डेटा-ड्रिवन अभियान’ है, जिसमें पुलिस e-GujCop ऐप से अपराधियों का डेटा जुटा रही है. वैसे गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस तरह की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की थी. नवंबर 2023 में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि ‘किसी भी व्यक्ति को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिए बिना बेघर नहीं किया जा सकता. सरकार अदालत की तरह फैसला लेकर खुद ही किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती और उसकी संपत्ति गिरा नहीं सकती.

प्रभावित लोगों को 15 दिन का नोटिस

हालांकि इस पर पुलिस प्रमुख विकास सहाय ने सफाई दी कि सभी प्रभावित लोगों को 15 दिन का नोटिस दिया गया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अहमदाबाद के जुहापुरा इलाके में हाल ही में तोड़ी गई संपत्ति 2022 में ही अवैध घोषित कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका इस अभियान में पूर्ण सहयोग दे रही है.

किसी निर्दोष को नुकसान नहीं

उधर गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने विधानसभा में इस कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि यह राज्य की ‘सुरक्षा और शांति बनाए रखने’ के लिए किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई बाहरी लोग राज्य में आकर दंगे भड़काते हैं और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करते हैं. उन्होंने सवाल किया, ‘ऐसे लोगों के घरों पर बुलडोजर नहीं चलना चाहिए?’ संघवी ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘दादा का बुलडोजर’ किसी निर्दोष को नुकसान नहीं पहुंचाएगा.

कांग्रेस ने आपत्ति जताई

वहीं कांग्रेस ने इस अभियान पर कड़ी आपत्ति जताई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावड़ा ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई केवल गरीबों के खिलाफ की जा रही है और बड़े अपराधियों को बख्शा जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि ‘क्या सरकार बड़े रसूखदारों के घर गिराने की हिम्मत दिखाएगी?’

बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना

गुजरात में ‘दादा का बुलडोजर’ एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. सरकार इसे कानून-व्यवस्था सुधारने का कदम बता रही है, तो विपक्ष इसे गरीबों और कमजोर तबकों पर हमला बता रहा है. अब देखना होगा कि इस पर सुप्रीम कोर्ट और अन्य संस्थाएं क्या रुख अपनाती हैं और सरकार इस अभियान को कितनी दूर तक ले जाती है.

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